चीन के राजदूत ने कहा- हमारी इकोनॉमी एक दूसरे पर टिकी हैं, इन्हें जबरन अलग करने से नुकसान होगा

चीन ने गुरुवार को कहा कि भारत से उसकी इकोनॉमी को अलग करने से दोनों देशों को नुकसान होगा। चीन के राजदूत सुन वीडॉन्ग ने कहा कि उनका देश भारत के लिए स्ट्रैटजिक खतरा नहीं है। चीन का ये बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने पिछले दिनों चाइनीज ऐप बैन किए हैं और बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।

चीन के राजदूत भारत-चीन संबंधों पर इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज, दिल्ली की तरफ से हुई वेबिनार में बोल रहे थे। उन्होंने सहयोग का रवैया रखने की वकालत करते हुए कहा है कि किसी एक को नुकसान पहुंचाने की सोच नहीं रखनी चाहिए। साथ ही कहा कि हमारी अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर टिकी हुई हैं। इन्हें जबरदस्ती अलग करना ट्रेंड के खिलाफ है, इससे सिर्फ नुकसान होगा।

सरकार ने रंगीन टीवी के आयात पर रोक लगाई
डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और चीन जैसे देशों से गैर-जरूरी वस्तुओं का इंपोर्ट कम करने के मकसद से यह फैसला लिया गया है। भारतीय टीवी सेट के बड़े एक्सपोर्टर में चीन शामिल है।

व्यापार में सहयोग से इंडस्ट्रीज का डेवलपमेंट तेज: चीन
दूसरी तरफ चीन के राजदूत ने कहा कि 2018-19 में भारत में 92% कंप्यूटर, 82% टीवी, 80% ऑप्टिकल फाइबर, 85% मोटरसाइकिल कंपोनेंट चीन से इंपोर्ट हुए। इससे व्यापार में ग्लोबलाइजेशन का पता चलता है। आप चाहें या नहीं चाहें, इस ट्रेंड को बदलना मुश्किल है। भारत-चीन के बीच ट्रेड को-ऑपरेशन से मोबाइल फोन, हाउसहोल्ड एप्लायंसेज, इन्फ्रास्ट्रक्टर, ऑटोमोबाइल मेकिंग और मेडिसिन जैसी इंडस्ट्रीज का डेवलपमेंट तेज हुआ है।

चीन के सैनिक सभी मोर्चों से पीछे नहीं हटे: भारत
भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिकों के पीछे हटने के दावों को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने का प्रोसेस अभी पूरा नहीं हुआ है। इसके लिए कमांडर लेवल की बातचीत का अगला राउंड जल्द शुरू किया जाएगा। उम्मीद है कि चीन सीमा पर शांति के लिए जल्द से गंभीरता दिखाएगा।



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चीन के राजदूत सुन वीडॉन्ग ने भारत-चीन संबंधों पर हुई वेबिनार में कहा कि व्यापार में किसी एक को नुकसान पहुंचाने की सोच नहीं रखनी चाहिए। (फाइल फोटो)


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चीन के राजदूत ने कहा- हमारी इकोनॉमी एक दूसरे पर टिकी हैं, इन्हें जबरन अलग करने से नुकसान होगा चीन के राजदूत ने कहा- हमारी इकोनॉमी एक दूसरे पर टिकी हैं, इन्हें जबरन अलग करने से नुकसान होगा Reviewed by Punjab Recruitment Portal on 10:37 Rating: 5

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के जून तिमाही के फाइनेंशियल रिजल्ट के एक-एक हिस्से को ऐसे समझिए

देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने जून तिमाही का फाइनेंशियल रिजल्ट गुरुवार को पेश किया। हालांकि यह रिजल्ट ब्रोकरेज हाउस और विश्लेषकों के सभी के पहले के अनुमानों को झूठा साबित कर दिया। क्योंकि अनुमान ये थे कि कंपनी के लाभ में घाटा होगा, लेकिन कंपनी ने उससे आगे बढ़कर करीबन 30.6% ज्यादा लाभ दिखाया है। इसे हम हिस्सों में समझते हैं कि कैसे यह सब हुआ।

रिलायंस देश की सबसे बड़ी कंपनी है। इसने रिजल्ट से सभी को चौंका दिया है। इसका लाभ 30.6 प्रतिशत बढ़कर 13,248 करोड़ रुपए हुआ है। किसी भी कंपनी का लाभ वह हिस्सा होता है जो सभी खर्च, टैक्स आदि को काटकर बचता है।

लाभ क्यों बढ़ा- कंपनी को ब्रिटिश पेट्रोलियम की डील से 4,966 करोड़ रुपए मिले। अगर हम इसे निकाल दें तो कंपनी का लाभ 8,277 करोड़ रुपए होता है। यानी पिछले साल के जून में लाभ 10,140 करोड़ था। उसकी तुलना में इस बार लाभ घट जाता।

रेवेन्यू- रेवेन्यू वह हिस्सा होता है जो कंपनी की सभी तरह से आय होती है। मतलब किसी भी तरह से कंपनी की बैलेंसशीट में कोई पैसा आता है तो वह रेवेन्यू बन जाता है। आरआईएल का रेवेन्यू 42 प्रतिशत गिरकर 1.74 लाख करोड़ से 1 लाख 929 करोड़ रहा है।

रेवेन्यू क्यों कम हुआ- लॉकडाउन से पूरी अर्थव्यवस्था ठप रही। ग्लोबल लेवल पर मांग कम रही। मुख्य रूप से मांग न होने से ही कंपनी की लागत कम रही। साथ ही कच्चे तेलों की कीमतें भी इस दौरान गिरती रहीं। इसका ओटूसी रेवेन्यू इस दौरान बुरी तरह प्रभावित हुआ इसलिए इसका रेवेन्यू कम हुआ।

ऑयल प्राइस मतलब तेल की कीमतें- कंपनी के लिए जून तिमाही में तेल की कीमतें बहुत कम रहीं। ब्रेंट क्रूड की कीमतें जून तिमाही में औसतन 29.2 डॉलर प्रति बैरल रहीं। एक बैरल में 159 लीटर तेल होता है। जबकि एक साल पहले जून तिमाही में यह 68.8 प्रति बैरल थी। यानी कीमतों में 57.6 प्रतिशत की कमी आई इससे कंपनी के रेवेन्यू पर असर दिखा।

कंपनी का गणित क्या रहा? क्रूड ऑयल सस्ता होने के बावजूद देश में तेल की कीमतें पुराने स्तर पर ही बनी रहीं। ग्लोबल लेवल पर मांग कम रही। क्योंकि तेल की कीमतें हमेशा ग्लोबल लेवल पर ही चलती हैं। इससे कंपनी की लागत में कमी आई।

रेवेन्यू में कमी के और क्या कारण रहे- ब्रेंट क्रूड की कीमतें कम रहीं, रिटेल बिजनेस में 17% की गिरावट रही। यह गिरावट इसलिए रही क्योंकि लॉकडाउन रहा। लॉकडाउन से स्टोर को चलाने पर प्रतिबंध लगा रहा।

चुनौती भरा माहौल- लॉकडाउन के कारण चुनौती भरे माहौल में आरआईएल के रेवेन्यू में 42 प्रतिशत की गिरावट तो आई पर लाभ बढ़ा। पर अगर दूसरे तरीके से इसके लाभ को देखें तो इसमें 18 प्रतिशत की कमी रही है। कारण कि कंपनी को जो लाभ हुआ ,है वह एक्सेप्शनल गेन यानी किसी और तरीके से उसे लाभ हुआ है, न कि रेवेन्यू के आधार पर। यह लाभ मुख्य रूप से बीपी की डील का रहा है।

सभी मोर्चों पर कंपनी के रेवेन्यू में गिरावट रही। कंपनी के लिए राहत की बात यह रही कि जियो का रेवेन्यू 33.7% और लाभ 182% बढ़ा।

इबिट्डा- रिजल्ट की जो एक और बात है वह यह कि आरआईएल ने इबिट्डा पर नियंत्रण रखा है। इसका इबिट्डा मार्जिन 52 प्रतिशत रहा है। यह इसलिए संभव रहा क्योंकि लागत में कमी की गई, लागत में बचत की गई।

भ‌विष्य में क्या होगा- अगर कंपनी लगातार आगे भी लागत पर नियंत्रण रखती है तो इसका इबिट्डा और लाभ बढ़ता रहेगा। जब रेवेन्यू वापस पटरी पर आएगा तब इसका और असर इबिट्डा और लाभ में दिखेगा।

आरआईएल का ईपीएस- ईपीएस यानी प्रति शेयर आय। यह जून तिमाही में 22.1 प्रतिशत बढ़ी। आय 20.7 रुपए प्रति शेयर रही। जैसा कि नाम से ही पता है कंपनी के जितने शेयर हैं, उनकी आय। मान लीजिए अगर 100 रुपए की आय है और 500 शेयर हैं तो प्रति शेयर आय 20 पैसे हुई।

स्टैंडअलोन जियो का रिजल्ट –स्टैंड अलोन क्या है- स्टैंडअलोन मतलब किसी एक कंपनी का रिजल्ट। जैसे रिलायंस में रिटेल है, जियो है पेट्रो केमिकल आदि कई सेगमेंट हैं। इसमें टेलीकॉम में जियो है। तो जब स्टैंडअलोन की बात आएगी तो किसी भी एक कंपनी की बात होगी। जब कंसोलिडेटेड की बात होगी तो फिर पूरे ग्रुप की बात होगी। जियो का स्टैंडअलोन रेवेन्यू 19,513 करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले की तुलना में यह 33.7 प्रतिशत बढ़ा है।

क्यों बढ़ा रेवेन्यू- एक तो कंपनी ने इस दौरान जियो के प्लान को महंगा कर दिया। दूसरे कंपनी ने अनलिमिटेड प्लान में भी कॉलिंग पर सीमा लगा दी। तीसरी बात कंपनी के ग्राहकों की संख्या भी इसी दौरान बढ़कर 39.8 करोड़ हो गई। इससे इसके प्रति ग्राहक का औसत खर्च भी बढ़ गया। यह औसत खर्च (एआरपीयू) 140.3 रुपए रहा।

डाटा ट्रैफिक में बढ़ोतरी- इसी दौरान जियो का वायरलेस डाटा ट्रैफिक भी 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा। यह 1,420 करोड़ जीबी रहा। जब किसी भी चीज की खपत बढ़ेगी तो उसका रेवेन्यू बढ़ेगा और उससे उसका लाभ बढ़ेगा। इस दौरान प्रति महीने प्रति ग्राहक 12.1 जीबी का डेटा खपत रहा। फोन से कॉल करने के मामले में हर ग्राहक ने महीने का 12.6 घंटे फोन कॉल किया।



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Consider each part of Reliance Industries Limited (RIL) financial results for the June quarter


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रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के जून तिमाही के फाइनेंशियल रिजल्ट के एक-एक हिस्से को ऐसे समझिए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के जून तिमाही के फाइनेंशियल रिजल्ट के एक-एक हिस्से को ऐसे समझिए Reviewed by Punjab Recruitment Portal on 09:36 Rating: 5

अयोध्या का वो मंदिर जहां राम-जानकी विवाह करवाना ही पूजा माना जाता है और जहां राम के कोहबर में जाते खत्म हो जाती है रामायण

शाम सात बजे का वक्त है। अशोक के पत्तों से सजाए गए झूले पर राम-जानकी का रूप धारण किए दो बच्चे झूला झूल रहे हैं। सामने साधु-सन्यासियों की टोली हारमोनियम, ढोलक, झाल और दूसरे वाद्य यंत्रों के साथ पालथी जमाए है और गा रही है-

‘जय रहे अवधेश लनन, मिथलेश लली जी की जय रहे…
पिया संवारों सो है घटा, सिया दामिनी सी छा रही…..
बातें मधुर रस-रहस के आनंद जल बरसा रहे…’

ये सब रात के नौ बजे तक चलता रहा। इस दौरान प्रसाद के तौर पर इलायची बांटी गई और वहां बैठे हर व्यक्ति की हथेली के पिछले हिस्से पर इत्र लगाई गई। ये दृश्य अयोध्या में स्थित बिअहुती भवन मंदिर के अंदर का है। बिअहुती भवन का मतलब हुआ वो भवन जहां अभी-अभी विवाह सम्पन्न हुआ है, जहां विवाह होने वाला है या जहां अक्सर विवाह सम्पन्न होते हैं, लेकिन यहां ये एक मंदिर है जहां राम केवल दूल्हे के रूप में पूजे जाते हैं।

हारमोनियम, ढोलक, झाल और दूसरे वाद्य यंत्रों के साथ पालथी जमाए संतों की टोली।

सावन महीने में हर शाम यहां राम-जानकी को झूला झुलाया जाता है और हर महीने की पंचमी तिथी को राम-सिया का विवाह करवाया जाता है। इस मंदिर या यहां रह रहे चालीस साधुओं के लिए राम की आराधना का यही एक तरीका है। विवाह भवन में रहने वाले, बच्चों का श्रृंगार करके उन्हें राम-सिया जैसा बनाने वाले भोला बाबा उर्फ नरेंद्र नाथ पाठक कहते हैं, ‘ये अयोध्या का अकेला मंदिर है जो राम को दूल्हे के तौर पर पूजता है। हमारे राम को गुस्सा नहीं आता। वो तो हमेशा मुस्कुराते रहते हैं। हमने और हमारे गुरुओं ने राम को हमेशा एक दूल्हे के तौर पर देखा है। इसके अलावा कुछ नहीं। हम अपने दूल्हे का विवाह करवाते हैं और यही हमारी पूजा है।’

बातचीत करते हुए भोला बाबा हमें मंदिर के अंदर घुमाते हैं। मंदिर में एक विवाह वेदी है जहां राम-जानकी का विवाह होता है और ये गीत-संगीत के माध्यम से होता है। मंदिर के एक हिस्से की तरफ इशारा करते हुए भोला बाबा कहते हैं, ‘विवाह वेदी वाले इलाके को हम जनकपुर मानते हैं। जहां राम और सिया झूला झूल रहे थे वो हिस्सा अयोध्या है। जब विवाह होता है तो वहां से बारात निकलती है और जनकपुर आती है।’

मंदिर में एक विवाह वेदी है जहां राम-जानकी का विवाह गीत-संगीत के माध्यम से होता है।

बिअहुती भवन मंदिर के अहाते में घूमते हुए एक ही मंदिर में अयोध्या और जनकपुर दोनों देखते हुए उस कथन पर विश्वास बढ़ जाता है जिसमें कहा गया है कि राम सबके हैं और सबके राम भी अलग-अलग हैं। इसी अयोध्या से राम को गुस्सैल और आक्रमक बनाकर, दिखाकर विश्व हिंदू परिषद ने एक पूरा आंदोलन चलाया और यही एक मंदिर ऐसा है जो राम को बतौर दूल्हा पूजता है। पूजा के दौरान राम और सीता की सुंदरता को लोक गीतों और रागों की मदद से गाता है। जब हमने बिअहुती भवन मंदिर के वर्तमान महंत वैकुंठ शरण से पूछा कि इस मंदिर की पूजा पद्धति और दूसरों में इतना अंतर कैसे है? तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘राम तो एक ही हैं। जो उन्हें जिस रूप में चाहता है, उस रूप में पूजता है। याद रखने वाली बात ये हैं कि आप जिस रूप में राम की पूजा करेंगे वो उसी रूप में आपको मिलेंगे।’

इस मंदिर में कोहबर भी है, जिसका हिंदी पट्टी खासकर बिहार और यूपी में होने वाले शादियों में खास महत्व है। मंदिर में बने कोहबर की तरफ इशारा करते हुए भोला बाबा कहते हैं, ‘हमारे लिए रामायण वहीं खत्म हो जाती है जब राम शादी के बाद कोहबर में जाते हैं।’ इसकी वजह पूछने पर वो कहते हैं, ‘इसके बाद के रामायण में जिस राम का जिक्र मिलता है। उनके द्वारा किए गए जिन कार्यों का जिक्र मिलता है वो हमारे राम जैसे नहीं हैं।’

मान्यता है कि सीता से विवाह के बाद राम जनकपुर में ही रह गए।

इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि जिस तरह से पार्वती से विवाह करने के बाद भगवान शंकर घर जमाई बनकर कैलाश पर रह गए। जिस तरह से लक्ष्मी को पाने के बाद विष्णु क्षीर सागर में ही रह गए। ठीक उसी तरह से जनक की बेटी सीता से विवाह के बाद राम जनकपुर में ही रह गए। अयोध्या वापस गए ही नहीं।

इस मंदिर परिसर की दीवारों पर की गई तरह-तरह की चित्रकारी और परिसर की भव्यता को निहारते हुए हमारी मुलाकात मंदिर के एक युवा साधु सुनील शरण से हुई। सुनील यहां पिछले दस साल से रह रहे हैं और इनके मुताबिक मंदिर ने देश के एक बड़े इलाके में राम-सीता को पूजने के तरीके में बदलाव ला दिया है। वो बताते हैं, ‘इस मंदिर से जुड़े हजारों भक्त देशभर में फैले हैं। हम और हमारी टीम सालभर घूम-घूमकर उनके यहां पंचमी को राम-सीता विवाह करवाते हैं।’

इस मंदिर की मान्यता है कि राम के पूरे व्यक्तित्व में जो सबसे सुंदर पल है वो उनके जनकपुर जाने और दूल्हा बनने का है। अपनी इन्हीं मान्यताओं के आधार पर अयोध्या का बिअहुती भवन मंदिर उन्हें दूल्हे के तौर पर पूजता है और अपने भक्तों से पूजने का आग्रह करता है।

श्री बिअहुती भवन मंदिर का द्वार।

हर समाज, हर देश, हर वर्ग अपने-अपने हिसाब से मान्यताएं बनाता है। ये अलग बात है कि हिंदी पट्टी में तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का खास महत्व है लेकिन ये भी सच है कि पूरे देश में करीब तीन सौ रामायण हैं। अब आखिर में आपको उस गीत की चार लाइनें बताते हैं जो राम-जानकी विवाहोत्सव के दौरान इस मंदिर के साधू-संत अक्सर गाते हैं। गीत के बोल हैं-

‘अवध नगर से जनकपुर आए वर सुंदर हे
मदन मोहन छवि निरखत लिए हिये अंदर हे
अनुपम सोहे सिर मौर, भूषण, पितांबर हे
अलक कुटिल भौहां, धनुषम कमल नयन सर हे’

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मंदिर में एक विवाह वेदी है जहां राम-जानकी का विवाह होता है और ये गीत-संगीत के माध्यम से होता है।


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अयोध्या का वो मंदिर जहां राम-जानकी विवाह करवाना ही पूजा माना जाता है और जहां राम के कोहबर में जाते खत्म हो जाती है रामायण अयोध्या का वो मंदिर जहां राम-जानकी विवाह करवाना ही पूजा माना जाता है और जहां राम के कोहबर में जाते खत्म हो जाती है रामायण Reviewed by Punjab Recruitment Portal on 08:36 Rating: 5

एक दिन में रिकॉर्ड 54750 मरीज बढ़े, देश में अब तक 16.39 लाख केस; मौतों के मामले में दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंचा भारत

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 16 लाख 39 हजार 350 हो गई है। गुरुवार को रिकॉर्ड 54 हजार 750 मरीज बढ़े। वहीं, 37 हजार 425 मरीज स्वस्थ भी हो गए। पिछले 24 घंटे में इस बीमारी से 783 लोगों ने दम तोड़ा। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

उधर, कोरोना संक्रमण की वजह से मौतों के मामले में भारत अब इटली को पछाड़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है। वेबसाइट worldometers के मुताबिक, शुक्रवार सुबह तक भारत में कोरोना से 35 हजार 786 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से मौतों के मामले में सबसे आगे अमेरिका (1 लाख 54 हजार 963), ब्राजील (91 हजार 263), ब्रिटेन (45 हजार 999) और फिर मेक्सिको (45 हजार 361) है। इटली में 35 हजार 132 मौतें हुई हैं।

5 राज्यों का हाल
मध्य प्रदेश: राज्य में जून की अपेक्षा जुलाई में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तीन गुना से ज्यादा हो गई है। प्रदेश में 1 जून से 30 जून के बीच कोरोना के 5592 पॉजिटिव मरीज मिले थे। जबकि जुलाई में 30 दिन में कोरोना के 17315 नए पॉजिटिव मरीज मिले हैं। जो बीते महीने की तुलना में तीन गुना से ज्यादा हैं।

भोपाल में इस दौरान ढाई गुना मरीज बढ़े हैं। 30 जून तक यहां 3029 मरीज थे, इनमें 1432 मरीज केवल जून महीने में मिले थे। जबकि जुलाई में 3587 पॉजिटिव मरीज मिले हैं।

राज्य सरकार ने 31 अगस्त तक राज्य में सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'कोरोना संकट के कारण प्राइवेट स्कूल छात्रों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस नहीं लेंगे। शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि यदि माता-पिता फीस देने में सक्षम नहीं हैं, तो उनके बच्चे का नाम किसी भी परिस्थिति में स्कूल से नहीं हटाया जाए।'

महाराष्ट्र: सरकार ने राज्य में लॉकडाउन 31 अगस्त तक बढ़ा दिया। उधर, गुरुवार को राज्य में रिकॉर्ड 11 हजार 147 लोग पॉजिटिव मिले। इसी के साथ अब संक्रमितों का आंकड़ा 4 लाख 11 हजार 798 हो गया है।

राजस्थान: प्रदेश में एक सितंबर से सभी धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए खुल जाएंगे। सरकार ने इनसे कहा है कि अभी से सोशल डिस्टेंसिंग और हेल्थ प्रोटोकॉल के साथ धार्मिक स्थलों को खोले जाने के लिए तैयारी शुरू करें। पिछले एक माह में अलवर में 3283 रोगी बढ़े, यह एक माह में रोगियों में 625% बढ़ोतरी है। 30 जून को अलवर में कुल संक्रमित 525 थे जो अब 3807 हो गए हैं। जयपुर में एक माह पहले 3318 रोगी थे जो अब 5255 हो गए। कुल 1937 की बढ़ोतरी। एक माह में प्रदेश में सबसे ज्यादा 3898 नए रोगी जोधपुर में आए। 30 जून को जोधपुर में 2793 रोगी थे जो अब 6691 हो गए।

बिहार: राज्य में गुरुवार को कोरोना सैंपल जांच की संख्या 20 हजार को पार कर गई। अब तक एक दिन में रिकॉर्ड 20801 सैंपल की जांच की गई। बुधवार की तुलना में जांच की संख्या में तीन हजार का इजाफा हुआ है। बुधवार को कुल 17794 सैंपल की जांच हुई थी। राज्य में 30 जून तक कुल 220890 कोरोना टेस्ट हुए, जबकि जुलाई महीने में गुरुवार तक कुल 304540 टेस्ट हुए। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में अबतक हुए कुल टेस्ट 525430 का 58% हिस्सा, यानी टेस्ट जुलाई महीने में ही हुआ।

उत्तर प्रदेश: राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोनावायरस के 3705 नए मामले सामने आए हैं। नए मरीजों के बढ़ने की ये अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। राज्य में अब 32,649 एक्टिव केस हैं। जबकि, 46,803 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।



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यह तस्वीर दिल्ली की है। गुरुवार को यहां 19 हजार से ज्यादा लोगों के सैंपल लिए गए। एक हजार से ज्यादा केस आए। कोरोना की वजह से 93 लोगों ने दम तोड़ा।


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एक दिन में रिकॉर्ड 54750 मरीज बढ़े, देश में अब तक 16.39 लाख केस; मौतों के मामले में दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंचा भारत एक दिन में रिकॉर्ड 54750 मरीज बढ़े, देश में अब तक 16.39 लाख केस; मौतों के मामले में दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंचा भारत Reviewed by Punjab Recruitment Portal on 08:36 Rating: 5

सुशांत की मौत की सीबीआई जांच नहीं होगी, राजस्थान में वीडियो से बवाल; इन 5 राशि वालों को आज थोड़ा संभलकर रहना होगा

तारीख है 31 जुलाई और दिन है शुक्रवार का। अगर कोरोनावायरस नहीं आया होता, तो आज नई फिल्म रिलीज होती। खैर, आज हॉटस्टार पर कुणाल खेमू और रसिका दुग्गल की लूटकेस फिल्म रिलीज होगी। ये कॉमेडी फिल्म है। कोरोना के टाइम में तो देख ही सकते हैं। ये तो हो गई फिल्म की बात। अब जल्दी से कुछ खबरों से भी गुजर लेते हैं।

1. अयोध्या में क्या चल रहा है?
राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। लेकिन, पूजन होता, उससे पहले ही यहां कोरोना पहुंच गया है।

खबर आई है कि रामलला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास कोरोना संक्रमित हो गए हैं। प्रदीप दास रामलला मंदिर के सहायक पुजारी भी हैं। सिर्फ पुजारी ही नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि में तैनात 16 पुलिसवालों के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबर है।

हालांकि, पुजारी और पुलिसवालों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात यहां के सीडीओ प्रथमेश कुमार खारिज कर चुके हैं।

2. राजस्थान के बवाल में नया क्या?
अब बात राजस्थान की। 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन यहां का बवाल शांत होता नहीं दिख रहा है। या तो सरकार गिरेगी? या तो बचेगी? तभी शांत होगा। खैर, इस घमासान के बीच राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी हैं। असल में ये वीडियो दोनों की बातचीत का है।

इस वायरल वीडियो में स्पीकर सीपी जोशी मुख्यमंत्री के बेटे वैभव से कह रहे हैं 'मामला टफ हो गया है।' फिर वैभव कहते हैं 'राज्यसभा के वक्त ही खबरें आ गई थीं। जिस तरह से माहौल खराब हो रहा है। इन्होंने 10 दिन राज्यसभा चुनाव के निकाले, फिर वापस।'

वैभव को सीपी जोशी जवाब देते हैं '30 आदमी निकल जाते हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते। हल्ला करते रहते। वो सरकार गिरा देते। अपने हिसाब से उन्होंने कॉन्टैक्ट करके करवा लिया है। बाकी दूसरे के बस की बात नहीं है।'

3. सुशांत की मौत का मामला कहां तक पहुंचा?
सुशांत सिंह राजपूत की मौत को डेढ़ महीने से ज्यादा हो गए और हर दिन इस मामले में कुछ न कुछ नया मोड़ आ ही रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की मौत की सीबीआई जांच कराने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अल्का प्रिया ने पीआईएल लगाई थी और मांग की थी कि इसकी जांच सीबीआई करे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि पुलिस को उनका काम करने दीजिए।

उससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। मुंबई पुलिस इसकी जांच में सक्षम है।

उधर सुशांत के पिता केके सिंह का कहना है कि उन्हें मुंबई में हो रही जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए वो चाहते हैं कि पटना पुलिस भी मामले की जांच करे।

कहा तो ये भी जा रहा है कि सुशांत ने मुंबई में आत्महत्या की थी। ऐसे में पटना में जो एफआईआर दर्ज हुई, वो जीरो एफआईआर मानी जाएगी और जांच मुंबई पुलिस ही करेगी।

4. मणिपुर में असम राइफल्स पर किसने हमला किया?
ये खबर बुरी है। दरअसल, 29 जुलाई की शाम पौन 7 बजे मणिपुर में असम राइफल्स के जवानों पर हमला हुआ। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए। 5 जख्मी भी हुए हैं, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती किया गया है।

ये हमला जहां हुआ है, वो जगह भारत-म्यांमार सीमा से बस 3 किमी दूर है। हमला खोंगताल में हुआ, जो मणिपुर के चंदेल जिले में पड़ता है। अब जो पता चला है, वो ये कि असम राइफल्स के 13 जवानों की टुकड़ी अपनी पोस्ट पर लौट रही थी। रास्ते में आईईडी ब्लास्ट हो गया। इसके बाद घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने फायरिंग कर दी।

ये हमला किसने किया? अभी तक पता नहीं चला है। हालांकि, शक है कि इस हमले के पीछे मणिपुर का लोकल्स ग्रुप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ हो सकता है।

5. कब होगी नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी?
कोरोनावायरस का असर खेलों पर तो पड़ा और अब अवॉर्ड सेरेमनी पर भी पड़ने वाला है। एक खबर आई है कि इस साल 29 अगस्त को जो नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड सेरेमनी होनी थी, उसकी तारीख कोरोना की वजह से एक या दो महीने आगे बढ़ सकती है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन की तरफ से अभी जवाब आना बाकी है।

29 अगस्त को हॉकी के खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती है। इसी दिन राष्ट्रीय खेल दिवस भी होता है। इसलिए इस दिन राष्ट्रपति राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद अवॉर्ड देते हैं। ये सेरेमनी भी राष्ट्रपति भवन में ही होती है।

6. कैसा होगा आज का दिन?
जाते-जाते सबसे जरूरी बात कि आज का राशिफल क्या कहता है? तो आज शुक्रवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा होने से चर और इंद्र नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनका असर मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों पर पड़ेगा। इसका फायदा भी है। इन 7 राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिल सकते हैं।

लेकिन, अगर आपकी राशि मिथुन, कर्क, कन्या, तुला या धनु है, तो आपको आज थोड़ा संभलकर रहना होगा। क्योंकि इन 5 राशि वालों के कामकाज में रुकावटें आने की आशंका है।



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रिलायंस को कहां से हो रही है कमाई? जियो का मुनाफा कितना बढ़ा? रिटेल में क्या करने जा रहे हैं अंबानी?

मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए। अप्रैल से जून के बीच कंपनी का रेवेन्यू एक लाख 929 करोड़ रुपए रहा। जियो का मुनाफा पिछले साल के मुकाबले तीन गुना बढ़ गया। लॉकडाउन के कारण कंपनी के रिटेल बिजनेस को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा।

कंपनी के 50% स्टोर पूरी तरह बंद रहे। 29% थोड़े दिन खुल सके। लेकिन, जियो मार्ट के जरिए रिलायंस रिटेल बिजनेस में एक और कदम उठाया। इसका फायदा उसे लॉकडाउन में हुआ। लॉकडाउन के शुरुआत में ही जियोमार्ट के डेली ऑर्डर 4 गुना बढ़ गए।

कंपनी को कमाई कहां से हुई?

तीस साल में पहली बार आरआईएल ने डिसइन्वेस्टमेंट किया। कोरोनाकाल में उसके टेलीकॉम बिजनेस में भारी तेजी आई। इसका असर ये हुआ कि इस तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का रहा।

जियो से कितना फायदा बढ़ा?

जियो ने रिलायंस को सभी बिजनेस वर्टिकल्स में उम्मीद से बढ़कर कमाई करके दी। उसने लॉकडाउन के दौरान भी देशभर में 9.9 मिलियन कस्टमर जोड़े। कंपनी ने कहा, "पूरे देश में लॉकडाउन था और इस वजह से इस दौरान कंपनी के साथ कस्टमर एंगेजमेंट बढ़ा। प्रति यूजर प्रति माह 12.1 जीबी डेटा कंजम्प्शन हुआ, वहीं औसत वॉइस कंजम्प्शन 756 मिनट प्रति यूजर प्रति माह हुआ।'

जियो का नेट प्रॉफिट अप्रैल से जून के दौरान 182.8 फीसदी बढ़ा। एक साल पहले जियो से कंपनी को 891 करोड़ का नेट प्रॉफिट हुआ था। जो इस बार बढ़कर 2,520 करोड़ रुपए हो गया। जियो का ईयर-ऑन-ईयर नेट प्रॉफिट, रिलायंस के एक्सपेक्टेशनल गेन का 55% है।

रिटेल में और क्या करने जा रहे हैं अंबानी?

रिलायंस के रिटेल बिजनेस पर लॉकडाउन का असर पड़ा। उसका रेवेन्यू 17% गिर गया। अप्रैल से जून के दौरान कंपनी ने कुल 31,633 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। देशभर में रिलायंस रिटेल के 11,800 आउटलेट हैं। लॉकडाउन के चलते इनमें से करीब 80% या तो पूरी तरह या फिर कुछ हद तक बंद रहे। इसके चलते कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट यानी इनकम टैक्स और इंटरेस्ट का खर्च घटाने से पहले का प्रॉफिट करीब 60% घटकर 722 करोड़ रुपए रह गया।

इसकी कुछ हद तक भरपाई कंपनी ने अपने जियो मार्ट प्लेटफॉर्म से की। इसके जरिए उसने एक दिन में 4 लाख तक ऑर्डर डिलीवर किए। हालांकि, कंपनी ने जियो मार्ट की शुरुआत मई के अंत में की। इसके जरिए कंपनी देश के 200 शहरों में ऑनलाइन ग्रॉसरी शॉपिंग की फैसेलिटी दे रही है।

जल्द ही ग्रॉसरी के अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन, हेल्थकेयर और फार्मा प्रॉडक्ट भी मिलने लगेंगे। जियो मार्ट की टक्कर अमेजन पैन्ट्री, बिग बास्केट, ग्रोफर्स और फ्लिप-कार्ट सुपरमार्केट से है।

फ्यूचर ग्रुप के रिटेल कारोबार खरीद सकती है रिलायंस

फ्यूचर ग्रुप के रिटेल सेगमेंट में बिग बाजार जैसे बड़े ब्रांड शामिल हैं। इसके अलावा फूडहॉल, नीलगिरीज, एफबीबी, सेंट्रल, हेरिटेज फूड्स और ब्रांड फैक्ट्री भी रिटेल सेगमेंट में आते हैं। रिलायंस रिटेल की डील होती है तो फ्यूचर ग्रुप के करीब 1700 रिटेल स्टोर भी रिलायंस रिटेल के पास चले जाएंगे। लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस रिटेल 24,000 करोड़ से 27,000 करोड़ रुपए में फ्यूचर रिटेल को खरीद सकती है।

पेट्रोकेमिकल बिजनेस का क्या हुआ?

तेल और गैस बिजनेस में पिछले साल की समान अवधि के आधार पर 45.2 प्रतिशत की कमी आई और वह महज 506 करोड़ रुपए रह गया। साल-दर-साल आधार पर ईबीआईटीडीए 207 करोड़ रुपए से घटकर 32 करोड़ रुपए रह गया।

जब बिजनेस चला ही नहीं तो लाभ कैसे?

कंपनी ने कहा कि उसे 4,966 करोड़ रुपए यानी करीब पांच हजार करोड़ रुपए का असाधारण लाभ हुआ। यह रिलायंस बीपी मोबिलिटी सर्विसेस के शेयर बेचने से हुआ। आरआईएल ने अपने फ्यूल रिटेलिंग बिजनेस में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को बीपी को 7,629 करोड़ रुपए में बेचा। इस पर 1,508 करोड़ रुपए का टैक्स चुकाया, जिससे वन-टाइम गेन के रूप में 4,966 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।

10 से 50 प्रतिशत तक सैलरी काटी, इससे क्या बचा?

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाइड्रोकार्बन बिजनेस में कर्मचारियों की सेलरी में 10 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की थी। यह सालभर में करीब 600 करोड़ रुपए की बचत कंपनी के लिए करता है। कंपनी ने 15 लाख रुपए से ज्यादा वार्षिक आय वाले कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी। सीनियर एक्जीक्यूटिव्स और बोर्ड सदस्यों की सेलरी में 30 से 50 प्रतिशत की कटौती की है।

इसके अलावा मुकेश अंबानी ने अपनी 15 करोड़ रुपए की सालाना सेलरी में से इस बार एक रुपया भी नहीं लेने का फैसला किया है। जब सेलरी कटौती की बात आई थी तो ज्यादातर एनालिस्ट ने आश्चर्य जताया था। इससे कंपनी को 50 करोड़ रुपए की मासिक बचत हो रही है। आरआईएल ने 2019-20 में 6.6 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमाया।

कंसोलिडेट्स लेवल पर रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल में इस साल कर्मचारियों पर खर्च 14,075 करोड़ रुपए है जो 2019-20 में 12,488 करोड़ रुपए था।

एनालिस्ट क्या कह रहे हैं?

शेयरखान के अभिजीत बोरा ने कहा कि नतीजे उम्मीद के अनुसार ही रहे। लॉकडाउन की वजह से रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके बाद भी जियो के मुकाबले रिलायंस रिटेल का कारोबार मंदा रहा।

विलियम ओ'नील के मयुरेश जोशी ने कहा, लॉकडाउन का असर पेट्रोकेमिकल बिजनेस पर दिखा। इसके बाद भी पेट्रोकेमिकल बिजनेस की मार्जिन उम्मीद से बेहतर है। जियो ने सरप्राइज किया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के दीपक जसानी ने कहा कि रिफाइनिंग सेग्मेंट में खराब प्रदर्शन की वजह से टॉप-लाइन परफॉर्मेंस कमजोर रहा।



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रिलायंस को कहां से हो रही है कमाई? जियो का मुनाफा कितना बढ़ा? रिटेल में क्या करने जा रहे हैं अंबानी? रिलायंस को कहां से हो रही है कमाई? जियो का मुनाफा कितना बढ़ा? रिटेल में क्या करने जा रहे हैं अंबानी? Reviewed by Punjab Recruitment Portal on 06:36 Rating: 5

2100 तक भारत में लोगों की संख्या घटकर 109 करोड़ रह जाएगी, सबसे अधिक आबादी वाले चीन में 80 साल बाद जनसंख्या आधी हो जाएगी

हाल ही में जारी की गई लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी। भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी।

इस ग्लोबल पॉपुलेशन प्रोजेक्शन रिपोर्ट में आने वाले 80 सालों में दुनिया की आबादी के बारे में कई तरह के फैक्ट्स हैं। जैसे- आने वाले 80 साल बाद भारत और दुनिया के अन्य देशों की आबादी कितनी होगी। कब तक बढ़ेगी और कब से घटेगी? किन देशों की आबादी तेजी से घटेगी? कौन से देश ऐसे हैं जिनकी आबादी आज की आबादी से आधी रह जाएगी?

ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है। 2100 भारत की फर्टिलिटी रेट में 68% तक घट जाएगा। 138 करोड़ आबादी वाले देश भारत में 2100 तक 28% लोग कम हो जाएंगे।

सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल रूस, जापान, ब्राजील 2100 तक टॉप टेन से बाहर हो जाएंगे

21 करोड़ आबादी वाला देश ब्राजील आबादी के लिहाज से इस वक्त दुनिया का 6वां सबसे बड़ा देश है। 2100 में इसकी आबादी घटकर 16.5 करोड़ रह जाएगी। जापान की आबादी 80 साल में आधी से कम हो 6 करोड़ हो जाएगी और वो दुनिया में 38वें नंबर पर आ जाएगा। 2017 के बाद से रूस और जापान की आबादी लगातार घट रही है।


पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के हर देश की आबादी घटेगी

2100 में पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों की आबादी आज के मुकाबले कम होगी। भारत की आबादी आज के मुकाबले करीब 21% कम होगी तो बांग्‍लादेश में आज के मुकाबले आधे लोग रह जाएंगे। वहीं, पाकिस्तान की आबादी 80 साल बाद 16% बढ़ेगी। हालांकि, वहां पीक 2062 में आएगा। जब वहां आज के मुकाबले करीब 47% ज्यादा आबादी होगी।

2100 तक चीन की आबादी लगभग आधी हो जाएगी। भारत की आबादी 32% घटेगी। बांग्लादेश की आबादी भी करीब आधी हो जाएगी। जबकि इंडोनेशिया आबादी मामूली घटेगी। तो पाकिस्तान की बढ़ेगी। इसके बाद भी बांग्लादेश को छोड़कर, एशिया के इन पांच देशों में से चार देश विश्व के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में अभी की तरह बने रहेंगे। पाकिस्तान इंडोनेशिया से ऊपर चला जाएगा, लेकिन एशिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले पांच देशों की लिस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा।


2017 में दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले 10 देशों में से चार देश जापान, रूस, बांग्लादेश, और ब्राजील 2100 में टॉप 10 से बाहर हो जाएंगे। 2100 में इनकी जगह, तंजानिया, मिस्र, इथोपिया और कांगो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले दस देशों में होंगे। अभी कांगो की आबादी 8 करोड़ 80 लाख है। वो आबादी के लिहाज से 18वें नंबर पर है।

इथोपिया की आबादी अभी 10 करोड़ 2 लाख है जो दुनिया में 13 वें नंबर पर है,मिस्र की आबादी अभी 9 करोड़ 60 लाख है जो कि दुनिया में 14वें नंबर पर है और तंजानिया की आबादी 5 करोड़ 30 लाख है जो दुनिया में 24वें नंबर पर है। मिस्र को छोड़कर बाकी तीन देश अफ्रीका से हैं।


वर्किंग एज पॉपुलेशन मतलब 20-64 साल के उम्र के लोगों की आबादी। 2100 में भारत वर्किंग एज पॉपुलेशन में भी दुनिया में नंबर एक पर होगा। चीन की वर्किंग एज पॉपुलेशन करीब 70% घटेगी लेकिन चीन की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण, वह 2100 में भी दुनिया में दूसरे नंबर पर बना रहेगा।

नोट- 2017 में चाइल्ड एज पॉपुलेशन और वर्किंग एज पॉपुलेशन को वर्ल्ड बैंक के मुताबिक है। जो 0-14 और 15-64 होती है। लैंटस की रिपोर्ट में इसे 0-19 और 20-65 लिया गया है। 2017 की तुलना में 2100 के प्रोजेक्शन के अंतर में थोड़ा बदलाव हो सकता है।

पहले भी रिसर्च में देखा गया है कि हर शताब्दी में, हर देश के सामने दो बार उतार-चढ़ाव आते हैं। एक बार आबादी घटती है जबकि एक ही शताब्दी में दूसरी बार आबादी बढ़ती है। जिस साल में सबसे ज्यादा होती है उसे पीक ईयर पॉपुलेशन कहा जाता है। चीन में सबसे ज्यादा आबादी अभी के दशक में बढ़ रही है।

जापान में पीक ईयर 2017 में था, स्पेन और थाईलैंड भी पीक ईयर क्रॉस कर चुके हैं। अब इस प्वाइंट से आबादी घटेगी। ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी 70-80 साल की होती है, इसीलिए आने वाले 50 साल से 80 साल तक इन सभी देशों में नेचुरल डेथ रेट पीक पर होगा और 2100 तक आबादी आधी हो जाएगी



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राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा।

इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी।

बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है।

1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख
राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी।

  • टाइम कैप्सूल क्या होता है?

टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा।

  • टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा?

इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है।

1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था

इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा।

जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल
भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है।

इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका

  • इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका।
  • 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है।

मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।

2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था
30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं।



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अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है।


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राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं Reviewed by Punjab Recruitment Portal on 06:36 Rating: 5

इस साल भी दो दिन जन्माष्टमी, मथुरा-वृंदावन और द्वारिका में 12 और जगन्नाथ पुरी में 11 अगस्त को मनाया जाएगा भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव

कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर इस साल भी दो मत हैं। ज्यादातर पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी है, लेकिन ऋषिकेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में 13 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाने की तैयारी है।

वैष्णव मत के मुताबिक 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है, इसलिए मथुरा (उत्तर प्रदेश) और द्वारिका (गुजरात) दोनों जगहों पर 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनेगा। जगन्नाथपुरी में 11 अगस्त की रात को कृष्ण जन्म होगा। वहीं, काशी और उज्जैन जैसे शैव शहरों में भी 11 को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

  • इसका कारणः कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र का एक साथ नहीं मिल रहे। 11 अगस्त को अष्टमी तिथि सूर्योदय के बाद लगेगी, लेकिन पूरे दिन और रात में रहेगी। भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी पर्व पर श्रीकृष्ण की तिथि और जन्म नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। इस बार 11 अगस्त, मंगलवार को अष्टमी तिथि पूरे दिन और रातभर रहेगी।

अलग-अलग दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
पं. मिश्र के साथ ही अखिल भारतीय विद्वत परिषद का कहना है कि गृहस्थ लोगों के लिए जन्माष्टमी पर्व 11 अगस्त को रहेगा। वहीं, साधु और सन्यासियों के लिए 12 अगस्त को। जन्माष्टमी को लेकर पंचांग भेद है, क्योंकि 11 अगस्त को अष्टमी तिथि है जो कि अगले दिन सुबह 8 बजे तक रहेगी।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि पर आधी रात में हुआ था। इसलिए विद्वानों का कहना है कि गृहस्थ जीवन वालों को इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाना चाहिए। वहीं, अगले दिन यानी 12 अगस्त को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि तो होगी, लेकिन सुबह 8 बजे तक ही रहेगी। इसलिए कुछ जगहों पर जन्माष्टमी पर्व 12 अगस्त को भी मनाया जाएगा।

मथुरा: भक्तों के बिना मनेगा जन्मोत्सव
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी था। जो कि इस बार 12 अगस्त की रात में है। नक्षत्र की स्थिति देखते हुए मथुरा में कृष्ण जन्मोत्सव पर्व 12-13 अगस्त की रात में मनाया जाएगा। कोरोना के चलते इस बार भक्तों के बिना ही कृष्ण जन्मोत्सव पर्व मनाया जाएगा। इस उत्सव को टीवी के जरिये देखा जा सकेगा। वहीं, पुष्पांजली समारोह जिसे हिंडोला भी कहा जाता है, भागवत भवन में रखा जाएगा।

जगन्नाथ पुरी में 11, द्वारिका में 12 अगस्त
द्वारिका धाम मंदिर के पुजारी पं. प्रणव भाई के मुताबिक, 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाना शुभ है। वहीं, जगन्नाथपुरी के पुजारी पं. श्याम महापात्रा के मुताबिक, उड़ीसा सूर्य उपासक प्रदेश है, इसलिए यहां सूर्य की स्थिति को देखते हुए त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए, पुरी मंदिर में 11 अगस्त को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव और 12 अगस्त को नंदोत्सव मनाया जाएगा।

तिथि और नक्षत्र के कारण होता है तारीखों में भेद
पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। लेकिन, ग्रह-नक्षत्रों की चाल में बदलाव होने से कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही नहीं होते।

इसलिए कुछ लोग जन्म तिथि को महत्वपूर्ण मानते हुए अष्टमी तिथि को ये पर्व मनाते हैं और कुछ लोग रोहिणी नक्षत्र वाले दिन मनाते हैं। हालांकि, दोनों ही दिन ये पर्व मनाना उचित है। इसलिए संप्रदाय भेद के कारण ये पर्व तिथि और नक्षत्र प्रधान माना जाता है।

12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने के तर्क
ज्योतिषाचार्य पं. मिश्र के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था। लेकिन, इस बार तिथि और नक्षत्र का संयोग एक ही दिन नहीं बन रहा है। मंगलवार, 11 अगस्त को अष्टमी तिथि पूरे दिन और रातभर रहेगी। इस वजह से 11 अगस्त की रात जन्माष्टमी मनाना ज्यादा शुभ रहेगा।

पं. मिश्र का कहना है कि 11 अगस्त को ही श्रीकृष्ण के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करना चाहिए। अष्टमी तिथि 12 अगस्त को सूर्योदय काल में रहेगी, लेकिन सुबह 8 बजे ही तिथि बदल जाएगी। ये दिन अष्टमी और नवमी तिथि से युक्त रहेगा। इसलिए 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी पर्व मनाना उचित नहीं होगा।



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वैष्णव मत के मुताबिक 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है, इसलिए मथुरा (उत्तर प्रदेश) और द्वारिका (गुजरात) दोनों जगहों पर 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनेगा।


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जासूसी की वजह से अमेरिका ने चीन का कॉन्सुलेट बंद किया, ब्रिटेन ने 5जी नेटवर्क से चीनी कंपनी ही हटा दी, भारत ने 106 ऐप्स बैन कीं

4 मई को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक स्पेशल रिपोर्ट छापी थी। इस रिपोर्ट में चीन की सरकार की एक इंटरनल रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि दुनिया भर में एंटी-चाइना सेंटीमेंट्स यानी चीन विरोधी भावना 1989 में थियानमेन चौक पर हुए नरसंहार के बाद से सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट को चीन के गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सौंपा था।

दुनिया में एंटी-चाइना सेंटीमेंट्स बढ़ने की वजह कोरोनावायरस बताई गई थी। इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि कोरोनावायरस के कारण चीन के खिलाफ माहौल बनेगा और अमेरिका से सीधे टकराव होगा।

लेकिन, सिर्फ कोरोनावायरस ही नहीं बल्कि और भी कई कारण हैं, चाहे हॉन्गकॉन्ग का मुद्दा हो या शिन्जियांग में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों का मसला। चाहे सीमा विवाद। इन वजहों से चीन दुनिया में चारों तरफ से घिरता जा रहा है। लेकिन, चौंकाने वाली बात ये भी है कि घिरने के बाद भी चीन पर इसका ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।

सबसे पहले बात, उन 6 कारणों की, जिनकी वजह से चीन घिरा
1. हॉन्गकॉन्ग :
चीन ने यहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया। इसमें हॉन्गकॉन्ग में देशद्रोह, आतंकवाद, विदेशी दखल और विरोध प्रदर्शन जैसी गतिविधियां रोकने का प्रावधान है। कानून तोड़ने पर तीन साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान भी है। कानून 1 जुलाई से लागू है और अब वहां चीनी सुरक्षा एजेंसियां काम कर सकेंगी। अभी तक ऐसा नहीं था।

2. शिन्जियांग : चीन के कब्जे वाले इस प्रांत में 45% से ज्यादा आबादी उइगर मुसलमानों की है। चीन पर उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप है। कुछ रिपोर्ट्स में सामने आया है कि चीन उइगर महिलाओं की जबरन नसबंदी करवा रहा है, ताकि जनसंख्या पर काबू पाया जा सके।

3. ताइवान : चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और जब हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने की तैयारी चल रही थी, तब चीन में ताइवान को लेकर भी चर्चा थी कि उसे ताइवान की मिलिट्री टेकओवर कर लेनी चाहिए। हालांकि, चीन के लिए ये उतना आसान नहीं है। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन कहती हैं कि ताइवान दूसरा हॉन्गकॉन्ग नहीं बनेगा। ताइवान का दावा है कि चीन अक्सर मिलिट्री प्लेन भेजता रहता है।

4. सीमा विवाद : भारत के साथ चीन का सीमा विवाद चल ही रहा है। जून में लद्दाख सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हो चुकी है। लेकिन, सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के साथ भी चीन का सीमा विवाद जारी है। इसके अलावा चीन दक्षिणी चीन सागर पर भी अपना हक जताता है। हाल ही में यहां अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने जहाज तैनात कर दिए हैं।

5. जासूसी : अमेरिका में पिछले हफ्ते ही सिंगापुर के एक नागरिक को गिरफ्तार किया गया है। इसे अमेरिका में चीन के जासूस के तौर पर काम करने का दोषी ठहराया गया है। इसके अलावा एक चीनी रिसर्चर को भी हिरासत में लिया गया है, जिस पर चीनी सेना के साथ अपने संबंधों को छिपाने का आरोप है। इसके अलावा चीन की टेक कंपनियां हुवावे और जेडटीई को भी अमेरिका सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।

6. कोरोनावायरस : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तो कई बार सार्वजनिक तौर से कोरोनावायरस को 'चीनी वायरस' कह चुके हैं। कोरोनावायरस कहां से निकला? इसकी जांच के लिए मई में 73वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक प्रस्ताव पेश हुआ। इस प्रस्ताव का भारत ने भी समर्थन किया था। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, न्यूजीलैंड, कनाडा, कतर, सऊदी अरब, अफ्रीकी देश, यूरोपियन यूनियन, यूक्रेन, रूस और ब्रिटेन समेत 100 से ज्यादा देशों के नाम हैं।

अमेरिका-ब्रिटेन-भारत जैसे देश चीन के खिलाफ
1. अमेरिका : चीन की 11 कंपनियों पर प्रतिबंध, दोनों देशों ने एक-दूसरे के कॉन्सुलेट बंद किए

अमेरिका और चीन के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन कोरोनावायरस के इस दौर में पिछले 7 महीनों में दोनों देशों की ये तकरार खुलकर सामने आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प तो कोरोनावायरस के लिए सीधे तौर पर चीन को ही जिम्मेदार ठहराते हैं। वो तो ये तक कह चुके हैं कि कोरोनावायरस को छिपाने में डब्ल्यूएचओ ने भी चीन की मदद की। ट्रम्प अक्सर कोरोनावायरस को 'चीनी वायरस' कहते हैं।

जुलाई की शुरुआत में ही अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने चीन को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा 'खतरा' बताया। उससे पहले 30 जून को अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन यानी एफसीसी ने भी चीन की हुवावे और जेडटीई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए 'खतरा' बताया था।

जुलाई में ही अमेरिका ने टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्सुलेट को बंद करने का आदेश दे दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि चीन 'इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी' चुरा रहा था। बदले में चीन ने भी चेंगड़ू स्थित अमेरिकी कॉन्सुलेट को बंद कर दिया।

अमेरिका ने 7 जुलाई को उन चीनी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया, जो अमेरिकी पत्रकार, टूरिस्ट्स, डिप्लोमैट्स और अफसरों को तिब्बत जाने से रोकने के लिए जिम्मेदार थे। जवाब में चीन ने भी कुछ अमेरिकी अफसरों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिया।

इसके अलावा चीन के शिन्जियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के मामले में अमेरिका ने 11 चीनी कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया। अमेरिकी अफसरों के मुताबिक, ये कंपनियां 10 लाख उइगर मुसलमानों का शोषण करती थीं।

इतना ही नहीं, हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के फैसले का अमेरिका ने भी विरोध किया था। अमेरिका का कहना था कि इस नए कानून से हॉन्गकॉन्ग के लोगों की आजादी पर खतरा पैदा हो गया है। इस पर चीन ने जवाबी कार्रवाई करने की धमकी भी दी थी।

इन सबके अलावा दक्षिण चीन सागर में भी अमेरिका ने जहाज भेजे थे। कुछ दिन पहले ही चीन की कम्युनिस्ट सरकार समर्थित थिंक टैंक स्ट्रेटेजिक सिचुएशन प्रोबिंग इनिशिएटिव ने दावा किया था कि अमेरिका के पी-8ए (पोसाइडन) और ईपी-3ई एयरक्राफ्ट्स ने साउथ चाइना सी से चीन के झेजियांग और फुजियान तक उड़ान भरी। कुछ देर बाद पी-8ए वापस लौटा और फिर यह शंघाई से 76.5 किलोमीटर दूर तक उड़ान भरता रहा।

2. ब्रिटेन : 5जी नेटवर्क से चीनी कंपनी को हटाया, हॉन्गकॉन्ग पर भी विरोध
मई के आखिर में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने डी-10 ग्रुप बनाने का आइडिया दिया था। उनका कहना था कि इस ग्रुप में जी-7 में शामिल सभी सातों देशों के अलावा भारत, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को भी जोड़ा जाए। इस ग्रुप का मकसद चीन के खिलाफ रणनीतिक एकजुटता बनाना होगा। जॉनसन का मानना था कि सभी देश 5जी टेक्नोलॉजी पर मिलकर काम करें, ताकि चीन की डिपेंडेंसी खत्म हो।

बोरिस जॉनसन ने मई में ये आइडिया दिया और जुलाई में ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क से चीन की हुवावे कंपनी को हटाने का फैसला ले लिया। जॉनसन के इस फैसले के बाद ब्रिटेन के सर्विस ऑपरेटर्स को हुवावे के नए 5जी इक्विपमेंट खरीदने पर पाबंदी लग गई। साथ ही ऑपरेटर्स को अपने नेटवर्क से 2027 तक हुवावे की 5जी किट भी हटानी होगी।

जॉनसन का ये फैसला चीन और हुवावे के लिए बहुत बड़ा झटका है। अमेरिका पहले ही आरोप लगा चुका है कि हुवावे के 5जी नेटवर्क के जरिए चीन जासूसी करता है।

इससे पहले चीन ने जब हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया, तो बोरिस जॉनसन ने चीन के इस फैसले का विरोध करते हुए हॉन्गकॉन्ग के 30 लाख लोगों को ब्रिटेन में बसने का प्रस्ताव दे दिया। उन्होंने कहा कि नया कानून हॉन्गकॉन्ग की आजादी का उल्लंघन है। हॉन्गकॉन्ग पहले ब्रिटेन का ही उपनिवेश था, लेकिन 1997 में ब्रिटेन ने इसे चीन को लौटा दिया।

इसके साथ ही हॉन्गकॉन्ग में नया कानून लागू होने के बाद ब्रिटेन ने हॉन्गकॉन्ग के साथ अपनी प्रत्यर्पण संधि सस्पेंड करने की घोषणा कर दी। इस संधि के तहत हॉन्गकॉन्ग में अपराध करने वाले अगर ब्रिटेन भाग जाते थे, तो उन्हें पकड़कर हॉन्गकॉन्ग भेजा जा सकता था। नए कानून पर ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमनिक रॉब ने कहा कि चीन की तरफ से हॉन्गकॉन्ग पर नया कानून थोपना, ब्रिटेन की नजर में अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का गंभीर उल्लंघन है।

इन सबके अलावा चीन के शिन्जियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों का मुद्दा भी ब्रिटेन ने उठाया था। ब्रिटेन का कहना था कि शिन्जियांग में उइगर महिलाओं की जबरन नसबंदी की जा रही है।

3. भारत : 100 से ज्यादा चीनी ऐप्स बैन कीं, कारोबार के लिए नए नियम बनाए
मई की शुरुआत में लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया। दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। इसी महीने भारत ने अपने एफडीआई नियमों में बदलाव कर दिया। नए नियमों के तहत जिन देशों की सीमाएं भारत से लगती हैं, अगर वो भारत के किसी कारोबार या कंपनी में इन्वेस्ट करते हैं, तो इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी। पहले ये पाबंदी सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश के इन्वेस्टर्स पर ही थी।

इसके बाद हाल ही में सरकार ने जनरल फाइनेंशियल नियम 2017 में भी बदलाव किया कि जो भी देश भारत के साथ सीमा साझा करते हैं, वो सरकारी खरीद में बोली नहीं लगा सकते। हालांकि, इसमें ये भी जोड़ा गया कि अगर कोई देश बोली लगाना चाहता भी है, तो उसे डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) की रजिस्ट्रेशन कमेटी में रजिस्टर्ड कराना होगा। इसके अलावा इन्हें विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से भी मंजूरी लेनी होगी।

इन दोनों ही नियमों में बदलावों का सबसे ज्यादा असर चीन पर ही होगा। हालांकि, नियमों में चीन का नाम नहीं लिया गया था। लेकिन, ये दोनों ही बदलाव चीन को मैसेज देने के लिए किए गए थे।

इसके अलावा जब लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में जब भारत-चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, तो उसके बाद सरकार ने टिकटॉक, यूसी ब्राउजर समेत 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगा दिया। उसके बाद कुछ दिन पहले ही सरकार ने चीन की 47 ऐप्स और बैन कर दीं। अब तक सरकार 106 चीनी ऐप्स पर बैन लगा चुकी है।

4. ताइवान : चीन से निपटने के लिए दक्षिण चीन सागर में मिलिट्री ड्रिल की
चीन और ताइवान के बीच अलग ही तरह का रिश्ता है। 1911 में चीन में कॉमिंगतांग की सरकार बनी। 1949 में यहां गृहयुद्ध छिड़ गया और माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कॉमिंगतांग की पार्टी को हराया। हार के बाद कॉमिंगतांग ताइवान चले गए।

1949 में चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा। दोनों देश एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते।

चीन अक्सर ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहता है। लेकिन, ताइवान खुद को अलग देश मानता है। मई में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने खुलेआम चीन को चुनौती दे दी थी। उन्होंने कहा था, 'ताइवान कभी चीन के नियम-कायदे नहीं मानेगा। चीन को इस हकीकत के साथ शांति से जीने का तरीका खोजना होगा।'

इसके अलावा दक्षिण चीन सागर को लेकर भी चीन और ताइवान के बीच तनातनी होती रहती है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दखलंदाजी के बीच ताइवान ने 5 दिन की मिलिट्री ड्रील की। इसमें चीन की मिसाइलों को मार गिराने पर फोकस था। इसके अलावा यहां मिराज 2000, एफ-16 फाइटर जेट और पी-3 सी एंटी सबमरीन फाइटर जेट तैनात किए जा चुके हैं। ताइवान की सेना के मुताबिक, इन फाइटर जेट्स को यहां तब तक रखा जाएगा, जब तक चीन के हमले का खतरा है।

इसके साथ ही हॉन्गकॉन्ग के प्रदर्शनकारियों को भी ताइवान का समर्थन मिला है। जब चीन ने हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया, तो हॉन्गकॉन्ग के लोगों की मदद करने के लिए ताइवान ने राजधानी ताइपे में ऑफिस भी खोल दिया। इस ऑफिस से उन लोगों को मदद मिलेगी, जो नया कानून लागू होने के बाद हॉन्गकॉन्ग से ताइवान आ रहे हैं।

5. ऑस्ट्रेलिया : कोरोना की जांच का समर्थन किया, हॉन्गकॉन्ग के लोगों को नागरिकता का प्रस्ताव
ऑस्ट्रेलिया का नाम भी उन देशों में शामिल है, जिसके रिश्ते पिछले कुछ महीने में चीन से खराब हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया ने काफी पहले ही कोरोनावायरस की जांच की मांग का समर्थन कर दिया था। इससे चीन ऑस्ट्रेलिया से चिढ़ गया था। इसके बाद चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर कुछ प्रतिबंध भी लगा दिए थे।

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने आधिकारिक रूप से दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को खारिज कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया ने यूएन में कहा था कि दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों का कोई 'कानूनी आधार' नहीं है।

इन सबके अलावा ऑस्ट्रेलिया ने शिन्जियांग और हॉन्गकॉन्ग में मानवाधिकारों का मसला भी उठाया था। चीनी कंपनी हुवावे को ऑस्ट्रेलिया के 5जी नेटवर्क के निर्माण से रोक दिया था। ऑस्ट्रेलिया अक्सर चीन पर अपने घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाता रहता है।

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Hate China (Anti-Chinese Sentiment) Vs India USA UK | Know What Is The Main Reasons


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जासूसी की वजह से अमेरिका ने चीन का कॉन्सुलेट बंद किया, ब्रिटेन ने 5जी नेटवर्क से चीनी कंपनी ही हटा दी, भारत ने 106 ऐप्स बैन कीं जासूसी की वजह से अमेरिका ने चीन का कॉन्सुलेट बंद किया, ब्रिटेन ने 5जी नेटवर्क से चीनी कंपनी ही हटा दी, भारत ने 106 ऐप्स बैन कीं Reviewed by Punjab Recruitment Portal on 06:36 Rating: 5

तेज बुखार आया, मुंह से खून आने लगा, अकेले इलाज करवाते रहे लेकिन घरवालों को नहीं बताया

आज हम दिल्ली एम्स के दो डॉक्टरों की कहानी बताने जा रहे हैं। दोनों कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते खुद कोरोना से संक्रमित हुए। ठीक होने के बाद एक तो वापस कोरोना वॉर्ड में भी लौट आए, मरीजों का फिर इलाज करने।

पहली कहानी - डॉक्टर सुनील ज्याणी की, जो संक्रमित हुए, आईसीयू में इलाज चला, 10 किलो वजन कम हो गया, अब ड्यूटी पर लौटे

मैं 24 मार्च से ही कोरोना पेशेंट का ट्रीटमेंट कर रहा था। सात-सात दिन के रोटेशन में हमारी ड्यूटी हुआ करती थी। 29 मई को मुझे अचानक बुखार आ गया। कपकपी लगने लगी। कमजोरी बहुत ज्यादा आ गई। मैंने अनुमान लगा लिया था कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। उस दिन मैंने 15 मिनट पहले ही अपनी ड्यूटी खत्म कर दी और तुरंत अपने रूम में चला गया।

उसी दिन रात में मुझे बहुत तेज ठंड लगी। घर राजस्थान में है। दिल्ली में एम्स के हॉस्टल में अकेला ही रहता हूं, इसलिए कोई देखने वाला नहीं था। सुबह होते ही मैंने डिपार्टमेंट में बताया कि ऐसे लक्षण हैं। उस दिन मेरा ब्लड लिया गया और दूसरे दिन रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन, उस समय प्रोटोकॉल था कि यदि बुखार आया है तो 7 दिनों तक क्वारैंटाइन ही रहना है। इसलिए मैं क्वारैंटाइन ही था।

डॉक्टर सुनील ज्याणी ने बताया कि हम पीपीई किट पहनकर ड्यूटी करते हैं। सभी प्रिकॉशन ले रहे थे, फिर भी संक्रमण का शिकार हो गए।

क्वारैंटाइन के चौथे दिन मुझे बहुत तेज बुखार आया। कफ बनाना शुरू हो गया और बलगम में खून आने लगा। हालत ऐसी हो गई थी कि मैं खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। साथियों ने मुझे तुरंत एम्स के ही कोविड वॉर्ड में एडमिट कर दिया। फिर मेरा दूसरा टेस्ट हुआ, जो पॉजिटिव आया। यह 4 जून की बात है।

अगले पांच से छ दिन मैं नॉर्मल रहा, लेकिन 11 जून आते-आते एक बार फिर लक्षण काफी ज्यादा बढ़ गए और मेरी सांस फूलने लगी। मेरी बॉडी में ऑक्सीजन का लेवल 91 पर आ गया था। यह बहुत ही गंभीर स्थिति होती है। इसके बाद मुझे तुरंत आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। किस्मत से आईसीयू में ट्रीटमेंट मिलते ही मैं रिस्पॉन्स कर गया और आठ से दस घंटे में काफी रिलीफ मिला।

हॉस्पिटल में कलीग्स ही सुनील का सहारा थे, क्योंकि उन्होंने घर पर यह बात नहीं बताई थी।

इसके बाद मुझे आईसीयू से नॉर्मल वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया क्योंकि बिना वजह आईसीयू वॉर्ड में रहना और ज्यादा खतरनाक हो जाता है। फिर 26 जून तक नॉर्मल वॉर्ड में ही रहा। कोरोना से जीतने में मुझे करीब 22 दिन लग गए। जब मैं कोरोना से संक्रमित हुआ था तो ये बात घर पर नहीं बताई थी। क्योंकि बताता भी तो वो लोग मुझसे मिल नहीं सकते थे।

उनका दिल्ली आना ज्यादा खतरनाक था, क्योंकि यहां तो बहुत कोरोना फैला हुआ था। डिस्चार्ज होने के दो दिन बाद 28 जून को मैं अपने घर पहुंचा। तभी घर में सबको बताया कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया था और अब पूरी तरह से स्वस्थ हूं। मेरा करीब दस किलो वजन कम हो गया। पंद्रह दिन घर पर रेस्ट किया।

15 जुलाई से मैंने फिर ड्यूटी ज्वॉइन कर ली है। हालांकि, अभी कोरोना वॉर्ड में ड्यूटी नहीं है। मेरे पापा आर्मी से रिटायर हुए हैं, इसलिए वो छोटी-छोटी बातों से घबराते नहीं। उन्होंने कहा कि बिना डरे काम करो।

22 दिन लगातार ट्रीटमेंट के बाद सुनील कोरोना से ठीक हो सके। फिर अपने घर गए।

मुझे कभी कोरोना का डर नहीं रहा क्योंकि हमारे वॉर्ड में स्वाइन फ्लू, एचआईवी, हेपेटाइटिस तक के पेशेंट आते हैं, जिनका मोर्टेलिटी रेट कोरोना से ज्यादा है और संक्रमण का खतरा भी। हम पूरे प्रिकॉशन लेकर काम कर रहे हैं। कोरोना वॉर्ड में जब भी ड्यूटी लगेगी, मैं फिर करना चाहूंगा। वॉर्ड में ड्यूटी करने पर लगता है कि हम भी कोरोना वॉरियर हैं और कुछ अलग कर रहे हैं।

दूसरी कहानी - डॉक्टर प्रमोद कुमार की जो ठीक होकर दोबारा कोरोना वॉर्ड में मुस्तैद हो गए हैं

मैं 24 मार्च से ही एम्स के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में पोस्टेड हूं। हर चौथे हफ्ते हमारी ड्यूटी हुआ करती है। कोरोना के क्रिटिकल पेशेंट्स को देखने की जिम्मेदारी हमारी होती है। हम पूरे प्रिकॉशन के साथ वॉर्ड में होते हैं। पीपीई किट पहने होते हैं। 7 घंटे तक कुछ खाना-पीना नहीं। 6 घंटे मरीजों के बीच होते हैं तो कोरोना संक्रमित होने की रिस्क तो होती ही है।

5 जुलाई को मुझे हल्का बुखार आया। उसी दिन मैंने जांच के लिए खून दिया। 8 जुलाई को मैं कोरोना पॉजिटिव आया। मेरा घर झारखंड में है। घर पर मां, पापा और बहन हैं। यहां पर एम्स के हॉस्टल में रहता हूं। घरवालों को बता दिया था, लेकिन सिंपटम्स माइल्ड थे, इसलिए ज्यादा टेंशन की बात नहीं थी। 10 दिनों तक मैं एम्स के वॉर्ड में आइसोलेशन में रहा।

ये डॉक्टर प्रमोद कुमार हैं। एम्स के हॉस्टल में ही रहते हैं। परिवार झारखंड में रहता है।

कोरोना ड्यूटी के बाद से ही मैंने बाहर जाना बंद कर दिया था। मार्च से कहीं नहीं गया। सिर्फ हॉस्टल और कोरोना वॉर्ड में ही आना-जाना होता था। मुलाकात भी सिर्फ कलीग्स के साथ ही होती थी। घर जानबूझकर नहीं गया क्योंकि अभी यहां ड्यूटी चल रही है। कोरोना वॉर्ड के अंदर हमें कम से कम ये पता होता है कि कौन कोरोना पॉजिटिव है। हम पूरे प्रिकॉशन के साथ जाते हैं।

वरना जिन लोगों को काम के सिलसिले में बाहर निकलना पड़ रहा है वो तो ये भी नहीं जानते कि कौन पॉजिटिव है और कौन नहीं। हालांकि, अभी मैं ठीक हो चुका हूं और ड्यूटी के लिए कोरोना वॉर्ड में वापस आ चुका हूं। वापस आने से पहले मैंने पढ़ा कि दोबारा संक्रमण का खतरा कितना होता है। यह कितना रिस्की हो सकता है, लेकिन इस बारे में ज्यादा कोई डाटा नहीं है तो मैं तो आ गया फिर ड्यूटी करने।

कोरोना वॉर्ड में मरीज चिढ़ने लगते हैं

कोरोना वॉर्ड में मरीजों का इलाज करने और खुद आइसोलेशन में रहने के दौरान हुए एक्सपीरियंस से पता चलता है कि जो वॉर्ड में या आइसोलेशन में होता है वो चिढ़ने लगता है। क्योंकि कोई मिलने-जुलने वाला नहीं होता। किसी से बात नहीं हो पाती। आईसीयू में तो मॉनिटर की आवाज आते रहती है। पीपीई किट पहनकर डॉक्टर आते रहते हैं। कई बार आपके आसपास ही किसी की डेथ भी हो जाती है, यह सब देखकर किसी का भी इरिटेट होना एक नॉर्मल बात है।

डॉक्टर प्रमोद कुमार कोरोना से लड़ने के बाद एक बार फिर ड्यूटी पर लौट चुके हैं।

आईसीयू में कई बार कुछ पेशेंट डेलिरियम में चले जाते हैं। यानी अपना होश खो बैठते हैं। ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जो मेंटली प्रिपेयर नहीं होते। मैं भी जब आइसोलेशन में था तो थोड़ा इरिटेट हो गया था। ऐसे में जरूरी है कि हम घरवालों से फोन पर ज्यादा से ज्यादा बात करते रहें। मोबाइल पर कुछ न कुछ करते रहें।

काम करने की कंडीशन है तो करें या फिर कुछ पढ़ते रहें। खुद को कहीं न कहीं व्यस्त रखना जरूरी है वरना कोरोना ट्रीटमेंट का ये पीरियड काटना बहुत मुश्किल हो जाता है। खैर, मैं अपनी ड्यूटी पर दोबारा लौट चुका हूं। घरवालों ने कहा था कि हो सके तो कोरोना के बजाए किसी दूसरे वॉर्ड में ड्यूटी लगवा लो, लेकिन अभी हम नई उम्र के हैं। हमें गंभीर संक्रमण होने की आशंका कम है। पूरे प्रिकॉशन लेते हुए इलाज कर रहे हैं।



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परिवार ने कहा कि, हो सके तो अब कोरोना वॉर्ड से ड्यूटी हटवा लो लेकिन डॉक्टर प्रमोद कुमार ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि, यह हमारी जिम्मेदारी है। पीछे नहीं हट सकते।


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तेज बुखार आया, मुंह से खून आने लगा, अकेले इलाज करवाते रहे लेकिन घरवालों को नहीं बताया तेज बुखार आया, मुंह से खून आने लगा, अकेले इलाज करवाते रहे लेकिन घरवालों को नहीं बताया Reviewed by Punjab Recruitment Portal on 06:36 Rating: 5
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