दो नहरों से तीन शव बरामद, मरने वालों की संख्या 45 हुई; हिंसा में 200 से ज्यादा घायल

नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस ने रविवार को दो नहरों से कुल तीन शव बरामद होने की पुष्टि की। एक शव गोकुलपुरी नहर से और दो शव भगीरथी विहार कॉलोनी से बरामद हुए। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेज दिया है। पुलिस मृतकों की पहचान करने की कोशिश में जुटी है। इसके साथ ही हिंसा में मरने वालों की संख्या 45 हो गई है, 200 से ज्यादा लोग घायल है। हालांकि पुलिस ने कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में फिलहाल शांति कायम है। इन इलाकों में पुलिस बल तैनात है। प्रशासन ने यहां एक महीने के लिए धारा-144 लगाई है लेकिन शनिवार सुबह इसमें 4 घंटे की छूट दी। पुलिस ने अब तक 167 एफआईआर दर्ज कीं, 870 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। विपक्षी पार्टियां हिंसा के लिए भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों को जिम्मेदार ठहरा रही हैं।इस बीच दिल्ली के कार्यकारी पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने दिल्ली हिंसा में घायल डीसीपी अमित शर्मा से मुलाकात की।

पुलिस के मुताबिक, स्थानीय लोगों को विश्वास में लेने के लिए उनसे बात की जा रही है। पिछले दो दिन में उत्तर पूर्वी जिले से हिंसा का कोई मामला सामने नहीं आया है। पुलिस लोगों से सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाले अफवाहों पर ध्यान न देने और इसकी शिकायत अधिकारियों से करने के लिए कह रही है।

पुलिस आयुक्त ने घायल डीसीपी का हालचाल जाना

दिल्ली के कार्यकारी पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने दिल्ली हिंसा में घायल शहादरा के डीसीपी अमित शर्मा के स्वास्थ्य की जानकारी ली। डीसीपी शर्मा 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। दिल्ली हिंसा के दौरान 24 फरवरी को वे गोकुलपुरी में तैनात थे। दंगाइयों ने उनपर हमला किया था। उनके हाथ और सिर में चोटें आईं थी। सोमवार को उन्हें पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी सर्जरी की गई थी। दंगाइयों ने डीसीपी शर्मा को घायल करने के साथ ही पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी थी।


दंगे में आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल के शामिल होने का शक

दिल्ली दंगे की जांच में शक की सुई आतंकी संगठनों की स्लीपर सेल की ओर घूम रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 36 घंटे भारत में रहने के दौरान हिंसा चरम पर थी। उनकी वापसी के तुरंत बाद हिंसा कम होने लगी। जांच एजेंसियां इसे इत्तेफाक नहीं मान रहीं। हिंसा की टाइमिंग और व्यापकता को देखते हुए यह महज दंगे का मामला नहीं माना जा रहा। हालांकि, गृह मंत्रालय ने इसकी पुष्टि नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक, हिंसाग्रस्त इलाकों में आतंकियों की स्लीपर सेल थीं। ट्रम्प की यात्रा के दौरान इन्हें सक्रिय किया गया। गोली लगने से 13 मौतें होना भी आतंकी साजिश का संकेत माना जा रहा है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका भी जांची जा रही

मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए शांति मार्च निकाला गया

हिंसा में मारे गए मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए शनिवार को शांति मार्च निकाला गया। इसमें दिल्ली हिंसा के 15 पीड़ितों ने अपने परिवार के साथ हिस्सा लिया। मार्च का आयोजन दिल्ली पीस फोरम(डीपीएफ) नामक स्वयंसेवी संगठन ने किया था। जंतर मंतर से पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन तक निकाले गए मार्च में करीब हजारों लोग शामिल हुए। डीपीएफ की अगुवाई जस्टिस एमसी गर्ग करते हैं। इस संस्था से सेवा निवृत्त सैन्य अधिकारी, आईएएस और हाईकोर्ट के जज जुड़े हुए हैं। संस्था के सदस्यों ने दिल्ली हिंसा को सोची समझी साजिश बताया।



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उत्तरपूर्वी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात है। -एजेंसी


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